दिल्ली दरबार छोटे शहरों के युवाओं के दिल्ली प्रवास, प्रेम, प्रयास और परेशानियों की एक प्रहसनात्मक कहानी है। यह लापरवाह इश्क से जिम्मेदार प्रेम की परिणति तक की एक खुशहाल यात्रा है। यह कहानी दरअसल उन लाखों युवाओं के जीवनशैली की भी है जो बेहतर जिंदगी और भविष्य की संभावनाओं के लिए दिल्ली जैसे महानगर का रास्ता लेते हैं। मनोरंजक ढंग से कही गई इस कहानी के केंद्र में टेक्नो गीक ‘राहुल मिश्रा’ है; जिसका मंत्र है ‘सफलता का हमेशा एक छोटा रास्ता है’ और विडंबना यह है कि वह इस बात को अपने ही सनकी तरीके से सही साबित भी करता जाता है।कहानी परिधि की भी है जो पूर्वी दिल्ली की एक ठेठ लड़की है और राहुल को लेकर भविष्य तलाश रही है। मूलतः ‘दिल्ली दरबार’ दिल्ली की नहीं, बल्कि दिल्ली में कहानी है जो चलते-चलते प्रेम, विश्वास, दोस्ती और ‘जीवन’ के अर्थ खोजती जाती है।
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